Deemak
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Deemak (Hardcover, Keshubhai Desai)

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Deemak  (Hardcover, Keshubhai Desai)

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Highlights
  • Binding: Hardcover
  • Publisher: Bharatiya Jnanpith-Vani Prakashan
  • Genre: Novel
  • ISBN: 9789355187109
  • Edition: 1st, 1993
  • Pages: 164
Seller
VaniPrakashan
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  • Description
    दीमक - डॉ. केशुभाई देसाई का यशोदायी गुजराती उपन्यास 'ऊधई' अपने आपमें एक अनूठी कलाकृति होने के साथ-साथ साहित्यकार के सामाजिक दायित्व का उत्कृष्ट उदाहरण है। हिन्दू-मुस्लिम साम्प्रदायिक समस्या ने पिछले कुछ बरसों से जो विकृति का रूप धारण किया है, किसी भी संवेदनशील साहित्यकार की अन्तरात्मा को झकझोरने के लिए काफ़ी है। डॉ. केशुभाई देसाई उत्कृष्ट कथाशिल्पी होने के साथ ही कर्मनिष्ठ कार्यकर्ता भी हैं, अतः उन्होंने इस समस्या पर लेखनी चलाना अपना धर्म समझा। पीढ़ियों से चला आ रहा साम्प्रदायिक सौमनस्य अचानक वैमनस्य की आग में कैसे परिवर्तित हो गया? कथानायक बचू को यह पहेली समझ में नहीं आ रही। उसके लिए तो अपने हिन्दू पड़ौसी ईजूफूफी व ढींगा जैसे स्वजनों से भी ज़्यादा आत्मीय हैं। देहात में रहते-रहते उसने कभी कल्पना तक नहीं की थी कि एक दिन शहर की साम्प्रदायिक गुण्डागर्दी उसके परिवार को नेस्तनाबूद करके छोड़ेगी। और तब अपने ही सहधर्मियों के हाथों घायल होकर अस्पताल के बिछौने पर दम तोड़ने से पहले वह अपनी पड़ौसन ढींगा के लिए नेत्रदान करने की इच्छा प्रकट करने के अलावा कर ही क्या सकता था? कथानायक बचू की शहीदी से पूरे भारतवर्ष की उस स्थापित मूल्यपरक एवं सहिष्णु जीवन-रीति के सामने प्रश्नचिह्न लग जाता है। उपन्यासकार ने बड़े ही कलात्मक ढंग से पाठकों के समक्ष राष्ट्रीय अस्मिता के मूल को कुरेदने वाली इस 'दीमक' के प्रति अँगुलि-निर्देश किया है। भारतीय ज्ञानपीठ डॉ. केशुभाई देसाई की इस सीमाचिह्न रूप कृति को राष्ट्र के बृहद् समुदाय के सम्मुख भेंट करते हुए गरिमा अनुभव कर रहा है।
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    Specifications
    Book Details
    Publication Year
    • 1993
    Contributors
    Author Info
    • केशुभाई देसाई - गुजराती के जाने-माने कथाशिल्पी, निबन्धकार, नाटककार प्रसिद्ध लोकसेवक और प्रकाण्ड प्रवक्ता। जन्म: 3 मई, 1949 को खेरालु (उत्तर गुजरात)। महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय से मेडिकल स्नातक। सक्रिय जनसेवक के रूप में वर्षों पिछड़े इलाकों में सेवाकार्य। गुजरात साहित्य अकादमी, गुजरात राज्य सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रमाणपत्र बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य एवं यूनिवर्सिटी ग्रन्थ निर्माण बोर्ड, गुजरात राज्य के अध्यक्ष पद पर भी रहे। अब तक साठ से अधिक रचनाएँ प्रकाशित। प्रमुख हैं—'जोबनवन', 'सूरज बुझाव्यानु पाप', 'लेडीज़ होस्टेस', 'ऊधई', 'मॅडम', 'मजबूरी', 'लीलो दुकाळ', 'धर्मयुद्ध' (उपन्यास); 'झरमरता चहेरा', 'उंदरघर', (कहानी-संग्रह); 'शहेनशाह', 'मारग मळिया माधु', 'मैं कछु नहीं जानूँ', 'शोधीए एवो सूरज' (निबन्ध) और 'पेट', 'रणछोड़राय' (नाटक)। इसके अतिरिक्त 'पडकार', 'साईंबाबा : ईश्वरनां पगलां पृथ्वी पर' और 'सेवासदन' आदि गुजराती रूपान्तर अनेक रचनाएँ हिन्दी, अंग्रेज़ी सहित अन्य भारतीय भाषाओं में अनूदित एवं प्रकाशित। भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित उपन्यास हैं—'दीमक', 'हरा-भरा अकाल' और 'दाह'। पुरस्कार-सम्मान: 'पेट' एकांकी के लिए गुजराती साहित्य परिषद से पुरस्कृत। 'धर्मयुद्ध' उपन्यास के लिए मारवाड़ी सम्मेलन का 'साहित्य सम्मान'।
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