सरबतिया बी॰ ए॰ एलएल॰ बी॰” कहानी नहीं, हकीकत है, स्त्री चरित्र के न सिर्फ़ उन रंगों की, जिनकी आप कल्पना कर सकते हैं बल्कि उनकी भी, जो आपकी सोच से परे हैं। एक ओर अपनी ख़ूबसूरती, छल, फ़रेब और झूठ से, सभी मानव रिश्तों, व मानवता को तार तार करने वाले, अनैतिकता की अकल्पनीय सीमा को भी लाँघ रहे स्त्री चरित्र हैं तो दूसरी ओर बदसूरती की सीमा तक मामूली शक्ल औ सूरत परन्तु अपनी अदम्य इच्छाशक्ति, बुद्धि और साहस से सफलता,आकर्षण और शक्ति हासिल कर किसी भी अन्याय के विरुद्ध जीत हासिल करने वाला स्त्री चरित्र भी है।
सत्य घटनाओं पर आधारित ये उपन्यास किन्हीं रिश्तों की मज़बूती तो किन्हीं के खोखलेपन अदालत की पेचीदा कार्यवाहियों, दुनियाँ की बेरहमी, बेदर्दी के कारण मानव की बेबसी,और लाचारी का आइना है। कहानी आपको झकझोरेगी, सोचने पर मजबूर करेगी और बार-बार यह सवाल उठायेगी कि आखिर ये दुनियाँ किधर जा रही है?